Thursday, May 24, 2007

चलो दिल्ली! (race for Admissions 2007, DU)

अगले एक महीने में कम से कम एक लाख छात्र एवम छ्त्राएँ दिल्ली की सड़कों पर पायें जायेंगे। कारण: विश्वविद्यालय प्रवेशन। दिल्ली के 79 कालेजों में ३५००० सीटों के लिए वह संघर्ष करेंगे। कौनसा कालेज सही है और कौनसा कोर्स; इन प्रशनों के बीच उलझे हैं बेचारे विद्यार्थी। मेरी राय में कट ऑफ़ और मॅन कि इच्छा को मानदंड रखकर कोर्स का चयन करना चाहिऐ। यह ज़रूरी नहीं है कि किस कालेज के आप विद्यार्थी रहे हैं, बल्कि यह कि आप अपने कैरियर और अपनी सफलता के लिए क्या मार्ग चुन्न्ते हैं। इस राह का पहला कदम है सही कोर्स का चयन। कही-सुनी बातों पर निर्भर न करें क्योंकि अधिकतम वह पक्षपाती होती हैं। अपने से बडों के विचारों की क़दर करें पर उन्हें पत्थर की लकीर न माने। खुद अपने लिए सोचें और करें, और हर फैसला बिना सोच-विचार और अनुसंधान के न करें। फिर मह विद्यालय में प्रवेशन होने के बाद अगले ३ सालों अपने जीवन और अपने व्यक्तित्व को भरपूर संवारें। यह ३ साल शीग्र ही समाप्त हो जाते हैं, पर जीवन की रुख ही बदल देते हैं।

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